पता नहीं ये क्या है जो भीतर ही भीतर मुझे खाए जा रहा है ,मैं जो नहीं चाहता ,ना चाह कर भी वहीं हूँ ,ये खयालातों का ज्वालामुखी मेरे अंदर समाया है, इस आग में सबकुछ जला देना चाहता हूँ ,पर क्या करूँ मजबूर हूँ शायद बर्बाद होने का डर है या सबकुछ खो जाने का गम है जो मुझे सता रहा है बस इसलिए खामोश रहकर मुस्कुरा लेता हूँ गाना नही आता फिर भी गा लेता हूँ। ✍#कौशिक_की_कलम #एक_ख़्याल😊 ©Kaushik Ki Kalam #Thoughts #Mood #deep_thoughts #TuesdayThoughts #kaushikji #KaushikKiKalam #Kaushik_ki_kalam #kaushik #Trending #Drops