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मेरी खातिर बस इतनी सी इनायत करना अपने बदले हुए लहज

मेरी खातिर बस इतनी सी इनायत करना
अपने बदले हुए लहज़े की हिफाजत करना//१

तुम तो इंसाफ के मुंसिफ हुआ करते थे,किससे
 सीखा है ये,अमानत में खयानत  करना //२

हम जलील_खार बने सबकी निगाहों में,
अब तुम्ही कह दो,गुनाह है क्या उल्फत करना//

तेरे हिज्र में ये चश्म अभी तक नम है,कभी
आना सुर्खे चश्मो की जियारत करना//४

शमा याद आए तो,बस इतनी सी जहमत करना
 इस मुहब्बतत में,ना अब कोई वजाहत करना//५
शमीम अख्तर/शमाwrites ✍️

©shama write मेरी खातिर बस इतनी सी *इनायत करना,अपने बदले हुए लहज़े की*हिफाजत करना/१/कृपा,मेहरबानी

तुम तो*इंसाफ के*मुंसिफ हुआ करते थे,किससे सीखा है,ये अमानत में*खयानत करना//२/*इंसाफ"न्याय देने वाला*बिना पूछे प्रयोग करना

हम*जलील_खार बने सबकी निगाहों में,अब तुम्ही कह दो कि गुनाह है क्या*उल्फत करना/३/अपमानजनक*प्रेम

तेरे*हिज्र में ये  चश्म अभी तक नम है,कभी आना इन"सुर्ख चश्म की*जियारत करना/४/जुदाई*लाल आंखे*दर्शन
मेरी खातिर बस इतनी सी इनायत करना
अपने बदले हुए लहज़े की हिफाजत करना//१

तुम तो इंसाफ के मुंसिफ हुआ करते थे,किससे
 सीखा है ये,अमानत में खयानत  करना //२

हम जलील_खार बने सबकी निगाहों में,
अब तुम्ही कह दो,गुनाह है क्या उल्फत करना//

तेरे हिज्र में ये चश्म अभी तक नम है,कभी
आना सुर्खे चश्मो की जियारत करना//४

शमा याद आए तो,बस इतनी सी जहमत करना
 इस मुहब्बतत में,ना अब कोई वजाहत करना//५
शमीम अख्तर/शमाwrites ✍️

©shama write मेरी खातिर बस इतनी सी *इनायत करना,अपने बदले हुए लहज़े की*हिफाजत करना/१/कृपा,मेहरबानी

तुम तो*इंसाफ के*मुंसिफ हुआ करते थे,किससे सीखा है,ये अमानत में*खयानत करना//२/*इंसाफ"न्याय देने वाला*बिना पूछे प्रयोग करना

हम*जलील_खार बने सबकी निगाहों में,अब तुम्ही कह दो कि गुनाह है क्या*उल्फत करना/३/अपमानजनक*प्रेम

तेरे*हिज्र में ये  चश्म अभी तक नम है,कभी आना इन"सुर्ख चश्म की*जियारत करना/४/जुदाई*लाल आंखे*दर्शन