मत पूछना उससे उसका पता लिखते जाना खत कृतज्ञता के सूरज की किरण से नदी पर जिसका एहसान है सदी पर वो वहीं है जहाँ उन्मुक्त है गीत निर्बन्ध सरल बहती है प्रीत क्षुधा और तृषा की तृप्ति के सर्वसुलभ उपक्रम चलते हैं नेत्रों में सुरक्षा के भाव निरत निश्छल पलते हैं और मनस के सपन सलोने मानस बल में ढलते हैं... नन्हें-नन्हें कदम प्रगति पथ प्रमुदित निर्भय चलते हैं जहाँ कहीं बूढ़ी आँखों में आगम की आश्वस्ति है... और युवा पौरुष के प्रतिफल सौहार्द सुमन से खिलते हैं उसका पता #उसकापता #collab #yqdidi #YourQuoteAndMine Collaborating with YourQuote Didi#toyou #searchingfor #innerquest #yqlove