एक अफ़वाह-सी फैला रखी है इस दिल ने.... (Read in Caption) एक अफ़वाह-सी फैला रखी है इस दिल ने तू न होकर भी कहीं मौजूद है, एक आस-सी जगा रखी है इस दिल ने बेरुखी ज़रा-सी इस वक़्त की है, ये रुत तो फिर भी बदल जाएगी हर अंजाम झेलते हुए, दिलोदिमाग की अनबन भी थम जाएगी कुछ बात था, जो ख़ास था अनकहा-सा वो इतिहास था