कि तू धूप बना तो मैं उसकी किरण बन गई कि तू बारिश बना तो मैं बूंद बन गई कि तू आगे चला तो मैं पिछे रह गई और मैं गिरी तो तेरे संभालने से मै संभल गई कि तू शिक्षक बना तो मैं तेरी जिद्दी सी शिष्या बनी कि तू डाट ता रहा तो मैं चुप रह के सब कुछ सह गई कि तू उंगली पकड़ के चला रहा था तो में छुड़ा के तेरी उंगली भागने लगी और जब पकड़नी चाही मैने तेरी ऊंगली तो फिर से वो न मिल सकी कि तू छत बना जिसने बारिश मैं ना भीगने दिया मुझे कि जब नासमझ थी तो तेरी ढाल ने बचाया मुझे कि तुझे मुझपे वो विश्वास था जो कोई और न कर सका और जब डाल तू ना बन सका तो तेरी सिख डाल बन गई और मैं लड़ते गिरते देख तेरी सिख से फिर संभल गई। ©Monika Bhardwaj #शिक्षक #पिता #शिव_शम्भू #राधेकृष्णा