#RIPDilipKumar "मीरा बाई" भानु तेज, मेघ से घने केश कुमुदलता सी, स्वेत पराग मीन नयन, अधर मन तरंग मृग स्वर्ण सी, पील पहरन आसमां ओढ़े, नील चुनर बिंदी शोभित शीश ललाट प्रेम स्तुति, स्वयं प्रेम मुरारी रहिआ साधे, मीरा नारी प्रेम पुजारी, प्रेम सजाती लिख लिख मीरा वेदना गाती.... - "रणदीप पुष्पवीर" ©Randeep Yagyik "मीरा बाई"