वो रोज़े की शाम चारौ तरफ हवाएं चल रही थी पत्तियाँ बेपरवाह उड़ रही थी वो मौसम ठंडा हो गया था लोग इफ्तार की तैयारी कर रहे थे मासूम बच्चे बेपरवाह खेल रहे थे कहीं पर लोग काम से लौट रहे थे कहीं पर खुदा की इबादत हो रही थी थोड़ा समय बाकी था सब लोग बैठ कर इंतजार कर रहे थे रोज़ा खोलने का वक़्त आ गया सबके चहरे पर खुशी छा गई ऐसी होती है रोज़े की शाम #Ramzan#