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ना जानु शब्द श्रृंगार....

  ना जानु शब्द श्रृंगार....                       
ना जानू कोई सूर,ताल....                  
मैं एक कवयित्री अनोखी...              
कविता ही मेरा पहिला प्यार.....        
  
                         भावनाओं को शब्द दूँ..... 
                          अनुभव का उपहार दूँ.....
                               उतार दूँ पनों पर किरदार.... 
                                दे दूँ खामोशी को झंकार.....
                                                      
      आँसू,कभी प्रित को....   
          आपने, कभी मित को...       
       शब्द बने सहारा....             
      सजाया हसीन पलों को....

प्रेरणा, कभी आँसू बनें...
सुकून,कभी हथियार बनें... 
     शब्द का ये मायाजाल...          
       दिलासा,कभी तक्रार बनें...!!!

©Asha...#anu
  #AnuA 
#Happypoetryday