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"यूँ ही कुछ मुस्काकर तुमने परिचय की वो गाँठ लगा दी

"यूँ ही कुछ मुस्काकर तुमने
परिचय की वो गाँठ लगा दी!

कभी कभी यूँ हो जाता है
गीत कहीं कोई गाता है
गूँज किसी उर में उठती है
तुमने वही धार उमगा दी 

जाने कौन लहर थी उस दिन
तुमने अपनी याद जगा दी"¹

©HintsOfHeart.
  #त्रिलोचन_शास्त्री     #यूँ_ही_कुछ_मुस्काकर_तुमने 
1.वह आधुनिक हिंदी कविता की प्रगतिशील त्रयी के तीन स्तंभों में से एक थे। इस त्रयी के अन्य दो सतंभ नागार्जुन व केदारनाथ अग्रवाल थे।

#त्रिलोचन_शास्त्री #यूँ_ही_कुछ_मुस्काकर_तुमने 1.वह आधुनिक हिंदी कविता की प्रगतिशील त्रयी के तीन स्तंभों में से एक थे। इस त्रयी के अन्य दो सतंभ नागार्जुन व केदारनाथ अग्रवाल थे।

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