आज मैं जमाने में इंशा खोजने निकला हूँ न जाने यहाँ मैं ये क्या खोजने निकला हूँ हरकोई इकदूजे को मारने काटने निकला है कहाँ मैं ये इंसानियत खोजने निकला हूँ जहाँ रहते थे सभी, प्यार की माला में पिरो मैं वही पुराना हिन्दोस्तां खोजने निकला हूँ