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झाड़ू पोंछा कर रहे , पुरुष घरों में बंद। आफि

झाड़ू  पोंछा  कर  रहे , पुरुष  घरों  में  बंद।
आफिस  में  पत्नी  गई , पढ़िए  मीठे  छंद।

पढ़ा -लिखा  खुद आदमी, करता वह तैयार।
पति को भूली शान में , छोड़ दिया मझधार।।

कैद  हुआ पति घर में  , पत्नी   का   आनंद।
रोना   धोना  बैठ   के ,  खो गया  गुल कंद।।

    के एल महोबिया ✍️

©K L MAHOBIA
  #बेचारी  के एल महोबिया
klmahobia1677

K L MAHOBIA

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#बेचारी के एल महोबिया #कविता

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