भरोसा अपने प्यार पर था तेरे बुलाने पर मैं चला आया पर बेवफा तू थी जान ले ली मेरी गलती क्या थी मेरी जो सहारा मेरे घर का तूने छीन लिया चिराग था मैं एक घर का सपने थे मेरे मेरे परिवार के जीना था शान और अभिमान से और मौत भी अपनी शानदार चाही थी पर गलती सिर्फ एक खुद से ज्यादा भरोसा तुझपे किया और तूने मुझे गुनाहगार बना जान ले ली मेरी पर इस हैवान जमाने ने सच जान कर भी रहम न किया पर हिम्मत मैं भी हार ही गया तेरे धोखे के सामने और बस अपने माँ बाप को याद करते ये प्राण त्याग दिये! ................भुवन जोशी हैवानीयत का शिकार ©dil ki baari #justiceForBhuwanJoshi