इस बारिश को भी मोहब्बत इस जमीन से बेइंतेहा हो गई, तीन दिन गुजर गए इसे आए हुए मानो हिमालय से कोई बदरी रिहा हो गई, मेरे लखनऊ में बूंदे कुछ यूं इस तरह है गिरी, मिलन हो जैसे धरती राम और बूंदे सिया हो गईं। ©Animesh Dwivedi #बारिश #बारिश_की_बूंदे #मौसम #hindi_shayari #hindi_quotes #rain