मेरी स्कूली बातें ... (Part - 1) "सच ,वो होता है , जो सब से हजम नी होता ।" - लाखा राम © झीलें जितनी मनमोहक जान पड़ती हैं बाहर से , अन्दर से वास्तव में उतनी होती नहीं है । उसका पेंदा दलदली होता है जिसे पार पाना बड़ा ही मुश्किल है । हमारे निजी विद्यालय वैसे ही दलदल है और मैं जिस विद्यालय में पढ़ा वह तो बहुत ही गहरा दलदल हैं । मेरे परिजनों ने 5 वीं कक्षा के लिए मेरे मुहल्ले के ही एक निजी विद्यालय में प्रवेश दिलवाया जहाँ से इस साल 12 वीं करने के बाद निकला । उसी समय की दास्ताँ __ यह विद्यालय नया-नया ही खुला था तो शुरूआत में ठीक था पढाई में भी एवं रवैये में भी । फिर ज्यों-ज्यों बच्चों की