जिसे हमने समन्दर समझा वो तो दरिया का पानी निकला जिसे हमने ठहरा सा छाँव समझा वो तो चंचल मन का प्रकाश निकला जिसे हमने अपना सच्चा साथी समझा वो ज़ालिम तो विश्वासघाती निकला #left_alone