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मैं चुप्प खड़ी खामोशी से चंद सवाल कर तो लू.. मैं छठ

मैं चुप्प खड़ी खामोशी से चंद सवाल कर तो लू..
मैं छठे मास की,उस पाचवी रात का हिसाब कर तो लू..
मगर छोडो तुम समझोगी नहीं..
बुलाऊ किसी रोज चाँद को काफी पर,और कर लू चन्द किस्सो का करार,
बन चुकी दरख्तो मे रख दू मुखौटा उतार,
मगर छोडो तुम समझोगी नहीं..
लगाकर गाल पर तेरे धरती की धूल को,कर दू जिन्दा गुलाल,
बनाकर खुद को काटो की टहनिया,पूजू जैसे गुलाब लाल,
मगर छोडो तुम समझोगी नहीं..
एक अरसा हो गया लम्हो की गिरफ्त मे,
तोड़ जन्जीरो को,अब हो जाऊ मै भी फरार..
मगर छोडो तुम समझोगी नहीं.. #nasmjhi
मैं चुप्प खड़ी खामोशी से चंद सवाल कर तो लू..
मैं छठे मास की,उस पाचवी रात का हिसाब कर तो लू..
मगर छोडो तुम समझोगी नहीं..
बुलाऊ किसी रोज चाँद को काफी पर,और कर लू चन्द किस्सो का करार,
बन चुकी दरख्तो मे रख दू मुखौटा उतार,
मगर छोडो तुम समझोगी नहीं..
लगाकर गाल पर तेरे धरती की धूल को,कर दू जिन्दा गुलाल,
बनाकर खुद को काटो की टहनिया,पूजू जैसे गुलाब लाल,
मगर छोडो तुम समझोगी नहीं..
एक अरसा हो गया लम्हो की गिरफ्त मे,
तोड़ जन्जीरो को,अब हो जाऊ मै भी फरार..
मगर छोडो तुम समझोगी नहीं.. #nasmjhi