हाँ वह पेड़, अब वहाँ नहीं था। जिसके छाया के नीचे हमने अपना बचपन गुजारा, जिसके रसीले फलों का स्वाद, आज भी हमे याद है, जिसकी शीतल हवाएं हमे ठंडक पहुंचाया करती थी, हाँ, वह पेड़, अब वहाँ नहीं था। जिसकी सभी स्मृतियां आज भी, हमारे मन में तरो-ताजा है। जिनकी डालियों पर बैठकर अनेकों पंछियों ने, खुद को प्राकृतिक आपदा से बचाया। जिसकी डाली पर हर सावन में झूला लगाकर हमने मटरगस्तियाँ की, हाँ वह पेड़ अब वहाँ नहीं था। ©Anjali k #wo ped