पुराना था जो बहुत सा वो सामान पड़ा है कोई खत भी तो है किसी के नाम पड़ा है मुसाफिर थक कर आया है जाने कितना तकिए बिस्तर पर जो किए आराम पड़ा है बहुत सहे तवज्जो देते हम किसे ख्वाबों में किसी कोने में किसी का आसमान पड़ा है हर किसी को नहीं दे सकते खुशी हरपल जतन जिसने किए अब गुमनाम पड़ा है अपने घर को छोड़ हम दूर ही जा बसे थे घर में जरा देखो तो कितना काम पड़ा है सिर चकराता है मेरा, कितना काम पड़ा है... #कितनाकामहै #collab #yqdidi #YourQuoteAndMine Collaborating with YourQuote Didi #रूप_की_गलियाँ #rs_rupendra05 #अरमान