मन भटका रहा है और भटक रहे हो तुम जो अभी बनी ही नही वो राह ढूँढ रहे हो तुम मज़बूर हो दिल से व्यर्थ की इच्छा पाल रहे हो तुम क्यूँ उलझ रहे हो अनजाने-अनकहे इस रिश्ते में तुम...! दिल से नहीं दिमाग से काम लेना होता है...