समाज पर स्वयं ने एक प्रश्न चिन्ह लगाया है, मर्द को ही क्यों जिम्मेदारियों का पुतला बनाया है। गलत दोनों ही होते हैं हर वक्त, मगर इल्जाम अकेले पुरुष पर ही क्यों आया है। जब भी किसी गलती पर, या गलती से, सबला स्त्री पर हाथ उठाया है, तो हमेशा समाज में बेदर्द कहलाया है। दर्द और आंसू को छिपा लेता है, क्यों उसको मर्दानगी का चोला पहनाया है। ए समाज, बाप पति और बेटे के रूप में, अब तूने ही उसे मेरे लिए बेचारा बनाया है। Shreya Upadhyaya 🎭 #purush parichaya