ये कैसी आफत है जो फैल रही एक से हजारों में. कहाँ गयी वो भीड़ जो कल तक थी बाजारों में.. आजकल बंद है सब लोग खुले हुए सलाखों में. फूल भी मुरझा गए आज फिर लगे लगे बागों में. फ़र्क़ दिख नहीं रहा है अब सुबह और शामों में.. वो तो निकले अपने जिन्हे गिनते थे हम अनजानों में. लोग गिरे जमीं पर और परिंदे फिर उड़े आसमानों में.. चार कंधे भी नहीं मिल रहे लगने को जनाजों में. चौराहों पर सन्नाटा पसरा और भीड़ लगी है शमशानों में.. ये कैसी आफत आई जो फैल रही एक से हजारों में.!! - bhavesh_writes #covid19 #coronavirus #bhaveshwrites #nojoto #love #myquotes