जिंदगी में एक तू ही जीने की वज़ह थी कलम मेरी प्यारी, तू ही तो मुझे घिसती थी चाहे लहू से लिखती थी, मग़र तू हँसी बन कर आती थी होंठो पे ये मेरा अज़ीब सा सुख था जो अपनी कोख़ से जन्म देता था कभी रचना छोटी,नन्ही,नाजुक,कोमल होती तो कभी सृजन निकलता, तीखा, कड़वा, कसैला, एक सच सा चुभता दर्द होता मग़र ममत्व भी रगों में बहता माँ का सा सुख मुझे मेरी कविताओं में मिलता पर दर बदर मिलती ठोकरें मुझसे कहती हैं तू छोड़ दे ख़्वाब देखना अपनी कृतियों को गोद दे दे कर दे बेदख़ल कल्पना को अपनी ज़ेहनी मिल्कियत से अपने अंदर पलती एक जान का गला घोंट दे तोड़ दे अपनी कलम को, अब एक नयी राह पे चल दे एक नाम बना, पैसा कमा, फ़िर जन्म दे रचना को कृति और सृजन को फिर से अपना लेना एक उम्र के बाद वो तोड़ी हुई कलम जोड़ लेना #रचना #सृजन #माँ #कोख #लेखनी #कलम #कृति #वास्तविकता #जिंदगी #Life #Reality #Pen #Creation #YQdidi