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मिली एक अप्सरा ना सोचा था कभी भी ज़रा ज़रा किस्मत

मिली एक अप्सरा ना सोचा था कभी भी ज़रा ज़रा
किस्मत लेगी मोड़ इतना बड़ा
क्या तारीफ़ करूं उसकी 
जो हैं वो नहीं होगी कोई उस तरह
खिलते सूरज सी लाली है उसकी
आंखें तो दो मय की प्याली हैं उसकी
बातों से दिल जीत लेती है
जब अपने सुंदर मुख से प्यारे से बोल देती है
सबसे हट कर दिया रूप खुदा ने
हाथों से अपने तराशी मूरत हो जैसे
फिर खुद ही ये सोचा ये कमाल हुआ कैसे उस से
कोई ना दूजा मिला ऐसा रूप ना रंग ना ढंग हो जिसका उस जैसा
तारीफ करते कलम नहीं रुकती
शब्दों की भीड़ उसकी प्रशंसा में आने को है जुड़ती 
बना उसको खुदा को होता है गर्व खुद पर
कितना नायब तोहफ़ा दिया उसने धरती पर

©Dr  Supreet Singh #Apsaraa
मिली एक अप्सरा ना सोचा था कभी भी ज़रा ज़रा
किस्मत लेगी मोड़ इतना बड़ा
क्या तारीफ़ करूं उसकी 
जो हैं वो नहीं होगी कोई उस तरह
खिलते सूरज सी लाली है उसकी
आंखें तो दो मय की प्याली हैं उसकी
बातों से दिल जीत लेती है
जब अपने सुंदर मुख से प्यारे से बोल देती है
सबसे हट कर दिया रूप खुदा ने
हाथों से अपने तराशी मूरत हो जैसे
फिर खुद ही ये सोचा ये कमाल हुआ कैसे उस से
कोई ना दूजा मिला ऐसा रूप ना रंग ना ढंग हो जिसका उस जैसा
तारीफ करते कलम नहीं रुकती
शब्दों की भीड़ उसकी प्रशंसा में आने को है जुड़ती 
बना उसको खुदा को होता है गर्व खुद पर
कितना नायब तोहफ़ा दिया उसने धरती पर

©Dr  Supreet Singh #Apsaraa
supreetsingh8466

Dr Supreet Singh

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