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क्या पता था, इतनी भीड़ भरी जिंदगी में खुद मैं ही अ

क्या पता था, इतनी भीड़ भरी जिंदगी में
खुद मैं ही अकेला रह जाउंगा,
बुलंदियां तो छू ली मैंने,
पर उसे चुम कर भी मैं, 
मुकम्मल न हो पाऊंगा।
       इस जिंदगी को पाने में 
              मैं जिंदगी जीना ही भूल जाऊंगा।।
        बस इतना ही तो कसूर था मेरा, कि
              मैंने खुद का सहारा चुना
        अपने दुखों के मंजर को,
            मैंने खुद ही बुना।। #SushantSinghRajput #no_words
क्या पता था, इतनी भीड़ भरी जिंदगी में
खुद मैं ही अकेला रह जाउंगा,
बुलंदियां तो छू ली मैंने,
पर उसे चुम कर भी मैं, 
मुकम्मल न हो पाऊंगा।
       इस जिंदगी को पाने में 
              मैं जिंदगी जीना ही भूल जाऊंगा।।
        बस इतना ही तो कसूर था मेरा, कि
              मैंने खुद का सहारा चुना
        अपने दुखों के मंजर को,
            मैंने खुद ही बुना।। #SushantSinghRajput #no_words