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वह सहती है कहती कुछ नही, गलतियां माफ़ करती है सबकी

 वह सहती है कहती कुछ नही,
गलतियां माफ़ करती है सबकी ,
उसे खुद गलती का हक़ नही,
तमाम उम्र गुजार दी दूसरों की ख़ातिर,
ख़ुद के लिये उसे एक पल का वक़्त नही
वह सहती है सब,कहती कुछ नहीं।

बहन बन कर अभिमान बनती वो
 वह सहती है कहती कुछ नही,
गलतियां माफ़ करती है सबकी ,
उसे खुद गलती का हक़ नही,
तमाम उम्र गुजार दी दूसरों की ख़ातिर,
ख़ुद के लिये उसे एक पल का वक़्त नही
वह सहती है सब,कहती कुछ नहीं।

बहन बन कर अभिमान बनती वो