Nojoto: Largest Storytelling Platform

तुम्हारे तिरस्कृत भाव से मेरी प्रेम-आकांक्षा जल र

तुम्हारे तिरस्कृत भाव से 
मेरी प्रेम-आकांक्षा जल रही है,
तुमसे मिलने की भावना 
मर रही है पर मरी नहीं है।
तुम चन्द्र सी दूरी अटल हो 
पर मन चकोर सा हठप्रिय है,
ये शेष-प्रेम की कहानियाँ तो 
अतीत से है नई नहीं है।।
अपने विरह की वेदना को था 
मौन पथ से भेजा प्रिय मैं,
क्या तुम्हारी अल्हड़-हठखेलियों पर 
कोई दस्तक हुई नहीं है।
सच बताना तुम जरा क्या नींद में 
होकर भी आँखे रातें-रातें जगी नहीं है।।
                      ©बृजेन्द्र दूबे 'बावरा' तुम्हारे तिरस्कृत भाव से 
मेरी प्रेम-आकांक्षा जल रही है,
तुमसे मिलने की भावना 
मर रही है पर मरी नहीं है।
तुम चन्द्र सी दूरी अटल हो 
पर मन चकोर सा हठप्रिय है,
ये शेष-प्रेम की कहानियाँ तो 
अतीत से है नई नहीं है।।
तुम्हारे तिरस्कृत भाव से 
मेरी प्रेम-आकांक्षा जल रही है,
तुमसे मिलने की भावना 
मर रही है पर मरी नहीं है।
तुम चन्द्र सी दूरी अटल हो 
पर मन चकोर सा हठप्रिय है,
ये शेष-प्रेम की कहानियाँ तो 
अतीत से है नई नहीं है।।
अपने विरह की वेदना को था 
मौन पथ से भेजा प्रिय मैं,
क्या तुम्हारी अल्हड़-हठखेलियों पर 
कोई दस्तक हुई नहीं है।
सच बताना तुम जरा क्या नींद में 
होकर भी आँखे रातें-रातें जगी नहीं है।।
                      ©बृजेन्द्र दूबे 'बावरा' तुम्हारे तिरस्कृत भाव से 
मेरी प्रेम-आकांक्षा जल रही है,
तुमसे मिलने की भावना 
मर रही है पर मरी नहीं है।
तुम चन्द्र सी दूरी अटल हो 
पर मन चकोर सा हठप्रिय है,
ये शेष-प्रेम की कहानियाँ तो 
अतीत से है नई नहीं है।।