वो मसरूफ़ अपनी दुनिया में गुल की हिफ़ाज़त नहीं करते इतने क्यों मग़रूर हो इक नज़र बारिश -ए -रहमत नहीं करते हमनें भी बे- इंतहा मोहब्बत किया था अदावत नहीं करते महबूब के कदमों में बिछाया था दिल छोड़ो वो चाहत नहीं करते पर जब हमनें लहरों की कहानी सुनी जाओं बगावत नहीं करते दिल उसका भी चूर था चलों अब हम शिक़ायत नहीं करते ।। गुल -फूल मसरूफ़ - व्यस्त अदावत- दुश्मनी बारिश ए रहमत -rain of blessing मग़रूर-अभिमानी ♥️ Challenge-598 #collabwithकोराकाग़ज़