आज क़दम नहीं सांसे रास्ते अपनाएगी एक दफा अपनाकर... मुड़ कर नहीं झाखेगी।। लेकर कोई खता नहीं बस अनकही बाते बांध जाएगी .... मेरी निशानियों को तेरे अश्कों में सज़ा मुस्कुराएगी आज क़दम नहीं सांसे रास्ते अपनाएगी तेरे फितूर के नशे को जग से छुपा ख़ुद मिट जाएगी।। पर जुदा तुझसे होकर क्या सांसे ख़ुद कैसे जी पाएगी .......... आज क़दम नहीं सांसे रास्ते अपनाएगी leaving...