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*"यत्र नार्यस्तु पूज्यंते रमंते तत्र देवता"* *अर्थ

*"यत्र नार्यस्तु पूज्यंते रमंते तत्र देवता"*
*अर्थात जहां "नारी" की "पूजा" होती है वहां "देवता" निवास करते हैं हम ये सब मानते हैं किंतु अपनाते कितना है*... *अब आप कहोगे अब "महिलाओं का सम्मान" भी तो करते हैं उनको उनके "जन्मदिन" पर या "विवाह की वर्षगांठ" पर "उपहार" इत्यादि देते हैं किंतु क्या यह सब पर्याप्त है*...
*अब आप ही सोचिए एक महिला अपने "पति" के लिए अपने "पिता" के लिए अपने "पुत्र" के लिए,और अपने "भाई" के लिए क्या क्या नहीं करती है, और आप उसे "एक छोटा सा उपहार" 🎁देकर संतुष्ट मानते हैं स्त्री को" स्वर्ण आभूषण" नहीं चाहिए "महंगे वस्त्र" नहीं चाहिए*
*उसे तो चाहिए आपका "सम्मान" सबके सामने भी और" एकांत" में भी उसे चाहिए आपका "समय" उसे चाहिए "आपका समर्पण" और थोड़ा सा "प्रयास" कि आप उसे जता पाए कि आपके जीवन में उनका स्थान और बराबरी का भाव है तभी आप कह पाएंगे*
*"यत्र नार्यस्तु पूज्यंते रमंते तत्र देवता"*....

Häppý Möťhëř'ş Ďãý 👩‍👦 ✨🙏🏻👍🏻
Bý-Åťüľ Şhãřmå *"यत्र नार्यस्तु पूज्यंते रमंते तत्र देवता"*
*अर्थात जहां "नारी" की "पूजा" होती है वहां "देवता" निवास करते हैं हम ये सब मानते हैं किंतु अपनाते कितना है*... *अब आप कहोगे अब "महिलाओं का सम्मान" भी तो करते हैं उनको उनके "जन्मदिन" पर या "विवाह की वर्षगांठ" पर "उपहार" इत्यादि देते हैं किंतु क्या यह सब पर्याप्त है*...
*अब आप ही सोचिए एक महिला अपने "पति" के लिए अपने "पिता" के लिए अपने "पुत्र" के लिए,और अपने "भाई" के लिए क्या क्या नहीं करती है, और आप उसे "एक छोटा सा उपहार" 🎁देकर संतुष्ट मानते हैं स्त्री
*"यत्र नार्यस्तु पूज्यंते रमंते तत्र देवता"*
*अर्थात जहां "नारी" की "पूजा" होती है वहां "देवता" निवास करते हैं हम ये सब मानते हैं किंतु अपनाते कितना है*... *अब आप कहोगे अब "महिलाओं का सम्मान" भी तो करते हैं उनको उनके "जन्मदिन" पर या "विवाह की वर्षगांठ" पर "उपहार" इत्यादि देते हैं किंतु क्या यह सब पर्याप्त है*...
*अब आप ही सोचिए एक महिला अपने "पति" के लिए अपने "पिता" के लिए अपने "पुत्र" के लिए,और अपने "भाई" के लिए क्या क्या नहीं करती है, और आप उसे "एक छोटा सा उपहार" 🎁देकर संतुष्ट मानते हैं स्त्री को" स्वर्ण आभूषण" नहीं चाहिए "महंगे वस्त्र" नहीं चाहिए*
*उसे तो चाहिए आपका "सम्मान" सबके सामने भी और" एकांत" में भी उसे चाहिए आपका "समय" उसे चाहिए "आपका समर्पण" और थोड़ा सा "प्रयास" कि आप उसे जता पाए कि आपके जीवन में उनका स्थान और बराबरी का भाव है तभी आप कह पाएंगे*
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*अर्थात जहां "नारी" की "पूजा" होती है वहां "देवता" निवास करते हैं हम ये सब मानते हैं किंतु अपनाते कितना है*... *अब आप कहोगे अब "महिलाओं का सम्मान" भी तो करते हैं उनको उनके "जन्मदिन" पर या "विवाह की वर्षगांठ" पर "उपहार" इत्यादि देते हैं किंतु क्या यह सब पर्याप्त है*...
*अब आप ही सोचिए एक महिला अपने "पति" के लिए अपने "पिता" के लिए अपने "पुत्र" के लिए,और अपने "भाई" के लिए क्या क्या नहीं करती है, और आप उसे "एक छोटा सा उपहार" 🎁देकर संतुष्ट मानते हैं स्त्री
atulsharma6011

Atul Sharma

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