दर्द दिल में हैं और अश्क भरी आँखें हैं । मासूम सी गुड़िया की दर्द भरी चीखें हैं । मेरे सपनों को कूचल कर के मारा गया। नोच कर मुझको मौत के घाट उतारा गया। अपने माँ बाप की आँख का तारा थी में । बुढ़ापे का उनका इक सहारा गया। आज अश्कों में भीगी उनकी आँखें हैं । के लहू में तरबतर डूबी हुई उनकी चीखें हैं । अम्न और मोहब्बत का आप मजमून बना दिजीय । के इन्साफ को आप अपना जुनून बना दिजीय । इससे पहले फिर किसी के घर की इज्जत लूटे। बलात्कारीयों की मौत का आप कानून बना दिजीय । उम्मीद भरी आपकी और उनकी आँखें हैं । के दर्द में ड़ूबी उनकी सौ चीखें हैं । Soumya Jain