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जब बिगड़ा कोरा कागज अपने लफ्ज़ो से उतरते हुये स्याही

जब बिगड़ा कोरा कागज अपने लफ्ज़ो से उतरते हुये
स्याही ने भी अपनी औकात दिखा दी रुक -रुक कर चलकर
उनके गुनाह बताना चाहा इस दिल ने बेफिक्र होके
फिर से अश्कों ने बह कर इसे मिटा दिया 
सोचने को तो बहुत कुछ सोचा मैंने कई राज़ मुझसे रूबरू भी हुए
एक और बार वो सामने आकर सारे दर्द को मिटा गया
मेरी कलम के सारे शब्दों को वो  मासूम चेहरा सजा दे गया
रख दु इस जहां में अपनी बेगुनाही बिना हिचकिचाहट के
पर एक ख्याल फिर आके कह जाता है मुझे हौले से
उसका भी तो कोई बवाल नहीं है इस जहां में जब
तो क्यों औरों के लिये खुद को बदनाम करे
तमाशे की बनके वजह हम क्यों बार-बार सवाल करें
उसे रहना है बस शांत सबके सामने 
हम क्यों भला ये आगाज करे nojoto#poetry#someone #juthe rishte
जब बिगड़ा कोरा कागज अपने लफ्ज़ो से उतरते हुये
स्याही ने भी अपनी औकात दिखा दी रुक -रुक कर चलकर
उनके गुनाह बताना चाहा इस दिल ने बेफिक्र होके
फिर से अश्कों ने बह कर इसे मिटा दिया 
सोचने को तो बहुत कुछ सोचा मैंने कई राज़ मुझसे रूबरू भी हुए
एक और बार वो सामने आकर सारे दर्द को मिटा गया
मेरी कलम के सारे शब्दों को वो  मासूम चेहरा सजा दे गया
रख दु इस जहां में अपनी बेगुनाही बिना हिचकिचाहट के
पर एक ख्याल फिर आके कह जाता है मुझे हौले से
उसका भी तो कोई बवाल नहीं है इस जहां में जब
तो क्यों औरों के लिये खुद को बदनाम करे
तमाशे की बनके वजह हम क्यों बार-बार सवाल करें
उसे रहना है बस शांत सबके सामने 
हम क्यों भला ये आगाज करे nojoto#poetry#someone #juthe rishte
priya7486555690635

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