शीर्षक - शून्य पे सवार हू। [कविता] मैं शून्य पे सवार हूं मैं हसता कभी कभार हूं उन तकलीफों से क्या डरू मैं ख़ुद ही तो इलाज हूं मैं शून्य पे सवार हूं हू हार जीत से परे काटे राहों में पड़े मैं जख्मी हूं आघात हू फिर भी तुम्हारे साथ हूं मैं शून्य पे सवार हूं न यार मेरे साथ है तो क्या नयी ये बात है वो काम होते निकल गए हालात मेरे समझगए मैं भूझी हुई अंगार हूं मैं शून्य पे सवार हूं सब इच्छाएं मर चुकी निराशा भी सवार है न झूझता में डर से कदा डर तो आखरी पड़ाव है मैं जंगल की आग हूं मैं कान्हा की छाव सा मैं शून्य पे सवार हूं हू सूर्य सा तेज़ मै इन्द्र सा ज्ञान हूं करू राम की आराधना जैसे अंजनी का लाल हूं संघर्षों का प्रमाण हूं अंधेरे में मशाल हूं कभी जीता हूं मैं हार कर मैं शून्य पे सवार हूं @Charpota_navin_ ©Navin charpota #ZeroDiscrimination #Shunya #pustakratna #deedarealfaj #Banswarablog #Yaari #Motivational #paper