नहीं सुर ताल लिखेंगे,ना गोरे गाल लिखेंगे ना उड़ते बाल लिखेंगे,ना उनकी चाल लिखेंगे सभी हैं हिंदी के बेटे सो माँ के सवाल लिखेंगे नहीं सुर ताल लिखेंगे,ना गोरे गाल लिखेंगे हिन्दी नहीं कहती है,कि उसी में ही रम जाओ तुम तुम्हें जो अच्छा लगता है,उसी में गीत गाओ तुम मगर यह याद भी रखो कि बचपन से जवानी तक हकलाते शब्द से लेकर,मोहब्बत की कहानी तक हमेशा डूबते समंदर में,हिंदी ने ही संभाला है लगी जब चोट तो जुबां ने माँ को ही पुकारा है उसी मां की ममता का अनसुना हाल लिखेंगे नहीं सुर ताल लिखेंगे ना गोरे गाल दिखेंगे ©vivek Kumar srivastava #हिन्दी_दिवस_की_हार्दिक_शुभकामनाएं #Books