राति राति भर जागंय बूटू मोबाइल के चक्कर मा, अइसन सानि बघारंय जइसन खोबा मिलिगा शक्कर मा।। घर वालेन से कहंय पढ़ित हय इन्टरनेट पढ़ाई, कागद कांपी सबय लोड हय ऐहिन केर बडाई ।। वाटसप म बीस ठे लडिकन सेन्ही चैटिंग झारंय, थैंकू सोरी ओके लावा अउर कुछू ना जानंय।। खानउ भर ना बनथय समके हंई गनेशय गोबर, घर वाले जो कुछू बतामंय बड़ा फुलामय थोबर।। खांय क चाही चाउमीन अउ पीजा बर्गर पोंगणा, ओन्हा चाही पहिनय कान्ही आधा आधा धोंगणा।। इआ मेर से दादू बूटू कइसन देश चलउबा, इहय हाल जो बनी रही ता भीखिउ भर ना पउबा।।