Nojoto: Largest Storytelling Platform

मिलेंगे हम ये वादा है ,रोज़ रात को चाँद के ज़रिए,

मिलेंगे हम ये वादा है ,रोज़ रात को चाँद के ज़रिए,
मैं भेजूँगी पैग़ाम तुम्हें,इस बहती हुई हवा के ज़रिए,
साथ रहेंगे सोच में दोनो,नाज़ुक नाज़ुक यादों में,

मैं कहूँगी मुझको एक मिला था, पागल,
जिसने ज़िंदगी सिखायी थी,

तुम कहना सबसे, एक ज़िद्दी पड़ोसन, 
अपने घर भी आयी थी|

चलो बहुत हुआ, अब चुप रहूँगी
चुप्पी में मज़मून है ज़्यादा,

तुम जैसा बनना, कहूँगी सबको, बस इतना ही मेरा वादा,
इससे ज़्यादा कहूँगी कुछ तो फूट पड़ेगी रुलायी भी,

लोग लड़ते हैं मिलने की ख़ातिर,
पर अपनी तो बिछड़ जाने की लड़ाई थी |

By : Swanand Kirkire
 The Kaafir Poem - Part 3

-Manku Allahabadi The Kaafir Poem -  Part 3
(By : Swanand Kirkire)
#Barrier #swanandkirkire #kaafir #mankuallahabadi #Emotions
मिलेंगे हम ये वादा है ,रोज़ रात को चाँद के ज़रिए,
मैं भेजूँगी पैग़ाम तुम्हें,इस बहती हुई हवा के ज़रिए,
साथ रहेंगे सोच में दोनो,नाज़ुक नाज़ुक यादों में,

मैं कहूँगी मुझको एक मिला था, पागल,
जिसने ज़िंदगी सिखायी थी,

तुम कहना सबसे, एक ज़िद्दी पड़ोसन, 
अपने घर भी आयी थी|

चलो बहुत हुआ, अब चुप रहूँगी
चुप्पी में मज़मून है ज़्यादा,

तुम जैसा बनना, कहूँगी सबको, बस इतना ही मेरा वादा,
इससे ज़्यादा कहूँगी कुछ तो फूट पड़ेगी रुलायी भी,

लोग लड़ते हैं मिलने की ख़ातिर,
पर अपनी तो बिछड़ जाने की लड़ाई थी |

By : Swanand Kirkire
 The Kaafir Poem - Part 3

-Manku Allahabadi The Kaafir Poem -  Part 3
(By : Swanand Kirkire)
#Barrier #swanandkirkire #kaafir #mankuallahabadi #Emotions