विदेशियों पर विजय हुई। हिंदी की इस यात्रा में । मुक्ति का आह्वान हुआ।। अभी बहुत कुछ शेष था।। प्रगति के उदयाचल में। प्रभाव अभी अंग्रेजी का। भारत का उत्थान हुआ।।। पग-पग पर अनिमेष था।। अंग्रेजी बंधन में अबभी। चातक गाता गौरव गाथा। हिंदी हर पल रोती थी।। जननी का जयघोष हुआ।। अंग्रेजी बंधन में लिपटी।। जीर्ण बनी विदीर्ण बनी। धरती का परितोष हुआ।।। असहाय और दीन बनी।। हिन्द राष्ट्र के संरक्षण में। सितंबर 14 सन उनचास।। बिटिया हिंदी हीन बनी।। प्रतिष्ठा का आयाम मिला।। स्वत्रंता के संविधान में।। यह राष्ट्र प्रेम भी आडम्बर है। हिंदी को सम्मान मिला।।। यदि राष्ट्रलिपि का मान नही।। है राग नही यदि 'देवनागरी'। राजभाषा बानी थी हिंदी। तुम भारत की संतान नही।। 'हिन्द' की आवाज बानी।। संस्कृत की तनया हिंदी। 'हिंदी दिवस' की हार्दिक शुभकामनाएं! संस्कृति और साज बनी।। #हिंदी