मुबारक हो, हमारा समाज बदल रहा है | जंगल से निकल कर समाज बनाया, अब पुनः जंगल की ओर चल रहा है | मुबारक हो, हमारा समाज बदल रहा है | होमोसैपियन्स से मनुष्य बना था, अब पुनः जानवरों में ढल रहा है | मुबारक हो, हमारा समाज बदल रहा है | पहले जानवरों को नोंचता था, खाने के वास्ते, अब नन्ही बच्चियों को भी तल रहा है | मुबारक हो, हमारा समाज बदल रहा है | ✍️आशीष कुमार सत्यार्थी हमारा समाज बदल रहा है