मुखिया पति परिवार का , चाभी पत्नी हाथ ! चाहे जैसे नाच नचाए , पति को अपने साथ !! पति है ईश्वर परम , बस करवा चौथ की रात ! पत्नी देवी सदा ही , यही है पते की बात !! हीरे , सोने , चाँदी के गहनों की है चाह ! पति बेचारे को फिर न सूझे कोई राह !! जो न पूरी माँग हो , क्रोध इसे आ जाय ! भूखा रखे पति को , भोजन भी ना पकाय !! फिर भी ना बने बात तो , दूजे भी हैं हथियार ! आँसू बहा कर ये , करें इमोशनल अत्याचार !! साथ हमेशा रहे दोनों रेल पटरी समान ! विचार ना हो एक पर , रखते एक दूजे का मान !! पति पत्नी की झड़प ये हैं रिश्तों का आधार ! खट्टा - मीठा प्रेम ही है , इस जीवन का सार !! हास्य रचना है हास्य के साथ ही पढ़ें 😄🙏 मुखिया पति परिवार का , चाभी पत्नी हाथ ! चाहे जैसे नाच नचाए , पति को अपने साथ !! पति है ईश्वर परम , बस करवा चौथ की रात ! पत्नी देवी सदा ही , यही है पते की बात !!