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दिल में रखते थे जो दिल दुखाने लगे हमको अंधे भी रस्

दिल में रखते थे जो दिल दुखाने लगे
हमको अंधे भी रस्ता दिखाने लगे
वक़्त थोड़ा सा बदला, तो वो हम पे भौंके
नस्ल अपनी है क्या ये जताने लगे
थी उनकी मोहब्बत, महज़ चंद टुकड़े
वो टुकड़ों पे दुम को हिलाने लगे
न बस्ती को देखा, न हाथों को देखा
हमने जब आग देखी बुझाने लगे
Written By
#Shushobhit #गज़ल
#Shushobhit_Poetry
दिल में रखते थे जो दिल दुखाने लगे
हमको अंधे भी रस्ता दिखाने लगे
वक़्त थोड़ा सा बदला, तो वो हम पे भौंके
नस्ल अपनी है क्या ये जताने लगे
थी उनकी मोहब्बत, महज़ चंद टुकड़े
वो टुकड़ों पे दुम को हिलाने लगे
न बस्ती को देखा, न हाथों को देखा
हमने जब आग देखी बुझाने लगे
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#Shushobhit #गज़ल
#Shushobhit_Poetry