सुनहरी धूप और पीपल की छाँव , मनभावन लगता है बहुत अपना प्यारा गांव । अल्हड़ बलखाती मद्धम पवन , छू जाती है नाजुकता इसकी अन्तर्मन । ये हर ओर पक्षियों का कलरव , गाय भेड़ बकरियों के गले की घंटियों की रूनझुन । सुनहरी धूप और पीपल की छाँव , मनभावन लगता है बहुत अपना प्यारा गांव । सूख चुकी मगर अपनी उपस्थिति दर्ज करता , वह कुंआ आज भी हमें लुभाता है । वो मिट्टी की पगडंडियाँ आज भी मुस्काती हैं , हमें आगे बढ़ने की राह दिखाती है । सुनहरी धूप और पीपल की छाँव , मनभावन लगता है बहुत अपना प्यारा गांव । शहरों की भागमभाग से परे , सुकूं का अहसास कराता है । कम संसाधनों में भी हंसकर जीना सिखाता है । यह सरल सा जीवन यहां , सरलता की पाठ हमें सिखाता है । सुनहरी धूप और पीपल की छाँव , मनभावन लगता है बहुत अपना प्यारा गांव । स्वछंद विचरती तितलियाँ और भौरों की भन्नाहट , वायु की निर्मलता दिखलाती है । ये हरे पेड़ और सर्वत्र बिखरी बिखरी हरियाली , आंखों को बड़ा लुभाती है । सुनहरी धूप और पीपल की छाँव , मनभावन लगता है बहुत अपना प्यारा गांव । हालांकि कुछ तो अवश्य बदले हैं हालात , बदल गए हैं थोड़े यहां के भी जज्बात । पर अब भी बहुत कुछ बांकी है , हाँ थोड़ा कम ही सही पर अब भी गांव हमारा बांकी , चबूतरो पर बरगद और पीपल की छाँव अब भी बांकी है । अब भी लोग होते हैं शरीक बिन बुलाए ही खुशी और गम में , एक - दूसरे के लिए ये मानवीय अहसास अभी बांकी है । सुनहरी धूप और पीपल की छाँव , मनभावन लगता है बहुत अपना प्यारा गांव ॥ #ManbhawanHaiBahutPyaraGaonApna