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मनुष्य जीवन में संस्कारों का बड़ा महत्व है जिस प्र

मनुष्य जीवन में संस्कारों का बड़ा महत्व है जिस प्रकार सूर्य में अभाव में पृथ्वी का अस्तित्व खतरे में होगा उसी प्रकार संस्कारों के अभाव में व्यक्ति का व्यक्तित्व संस्कार ही हमारे जीवन में सुधार करते खदान से निकलते हैं हीरे की कीमत एक नहीं हो पाती क्योंकि उसके सौंदर्य पर एक स्वयं नहीं मिल पाता रोहित द्वारा तरह से जाने के बाद में अति मूल्यवान हो जाता है संस्कार हमारे जीवन में उसी चोरी की भूमिका निभाते हैं बौद्धिक संपदा के बंटवारे से लेकर उसे स्वर्ण तक हो सकता है लेकिन व्यक्ति के संस्कार ना केवल उसकी अविश्वसनीय संपदा है बल्कि पर लोग गांव के उपरांत भी उसके विरासत के प्रतीक बने रहते हैं व्यक्ति को संस्कारित करने की पहली पाठशाला परिवार है घर में जैसे परिवेश होगा उसी प्रकार के विचार और संस्कार बाल जीवन में परिवर्तित होंगे वास्तव में बेईमान कोरे कागज की तरह होता है वह जब छोटा होता है तभी उसे अच्छे संस्कारों की पौधा रोपा जा सकता है जिस समय के साथ पुष्पित पल्लवित किया जा सकता है ऐसे में प्रत्येक परिवार में हर एक सदस्य का यह दायित्व है कि बच्चों में भौतिक संसाधनों की स्थान पर संस्कारों को प्राथमिकता देने का लक्ष्य तक करें अगर आराम नहीं बच्चे को संस्कार युक्त शिक्षा देंगे तो वह सफल और जिम्मेदार नागरिक बनेंगे बच्चे संस्कारवान होंगे तो सनातन संस्कृति और सभ्यता के विरुद्ध होने की आशंका एवं भय समाप्त हो जाएगा आज का युवा जिस तनाव अवसाद और अनुशासित गिरफ्त में है उसके मूल में संस्कारों के अभाव का एक बड़ा कारण माना जा रहा है इसमें पाश्चात्य संस्कृति ने बड़ी भूमिका निभाई है

©Ek villain #संस्कारों का महत्व मानव जीवन में

#youandme
मनुष्य जीवन में संस्कारों का बड़ा महत्व है जिस प्रकार सूर्य में अभाव में पृथ्वी का अस्तित्व खतरे में होगा उसी प्रकार संस्कारों के अभाव में व्यक्ति का व्यक्तित्व संस्कार ही हमारे जीवन में सुधार करते खदान से निकलते हैं हीरे की कीमत एक नहीं हो पाती क्योंकि उसके सौंदर्य पर एक स्वयं नहीं मिल पाता रोहित द्वारा तरह से जाने के बाद में अति मूल्यवान हो जाता है संस्कार हमारे जीवन में उसी चोरी की भूमिका निभाते हैं बौद्धिक संपदा के बंटवारे से लेकर उसे स्वर्ण तक हो सकता है लेकिन व्यक्ति के संस्कार ना केवल उसकी अविश्वसनीय संपदा है बल्कि पर लोग गांव के उपरांत भी उसके विरासत के प्रतीक बने रहते हैं व्यक्ति को संस्कारित करने की पहली पाठशाला परिवार है घर में जैसे परिवेश होगा उसी प्रकार के विचार और संस्कार बाल जीवन में परिवर्तित होंगे वास्तव में बेईमान कोरे कागज की तरह होता है वह जब छोटा होता है तभी उसे अच्छे संस्कारों की पौधा रोपा जा सकता है जिस समय के साथ पुष्पित पल्लवित किया जा सकता है ऐसे में प्रत्येक परिवार में हर एक सदस्य का यह दायित्व है कि बच्चों में भौतिक संसाधनों की स्थान पर संस्कारों को प्राथमिकता देने का लक्ष्य तक करें अगर आराम नहीं बच्चे को संस्कार युक्त शिक्षा देंगे तो वह सफल और जिम्मेदार नागरिक बनेंगे बच्चे संस्कारवान होंगे तो सनातन संस्कृति और सभ्यता के विरुद्ध होने की आशंका एवं भय समाप्त हो जाएगा आज का युवा जिस तनाव अवसाद और अनुशासित गिरफ्त में है उसके मूल में संस्कारों के अभाव का एक बड़ा कारण माना जा रहा है इसमें पाश्चात्य संस्कृति ने बड़ी भूमिका निभाई है

©Ek villain #संस्कारों का महत्व मानव जीवन में

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