#मुद्दतें प्रदोषऔर, ढलती हुई जामिनि, #अब कहने के लिए कुछ भी नही है। #मसक बह रहा है,यादें गहींर हो रही है, #अब सहने के लिए कुछ भी नही है ।। हमारा कारवां #muddat#pradosh#yaaden