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गुरू बिन काहू न पाया ज्ञाना, ज्यों थोथा भुष छड़े मू

गुरू बिन काहू न पाया ज्ञाना, ज्यों थोथा भुष छड़े मूढ़ किसाना।
गुरू बिन वेद पढ़े जो प्राणी, समझे न सार रहे अज्ञानी।
कबीर, नौ मन सूत उलझिया, ऋषि रहे झख मार।
सतगुरू ऐसा सुलझा दे, उलझै ना दूजी बार।।

©Sudrshàn Gupta
  #TereHaathMein जगतगुरु तत्वदर्शी संत रामपाल जी महाराज की जय

#TereHaathMein जगतगुरु तत्वदर्शी संत रामपाल जी महाराज की जय #समाज

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