मेरी डायरी तो पूरी हो गई, पर ख़्वाब अधूरा हैं, हो गई प्रीत उसमे पूरी, पर हमारा मिलन अधूरा हैं। लिखती तो हूं मैं भी, अपनी सारी बातों को उसमें, पर तुमसे जुड़ा कुछ राज़ साहिब, उसमे अधूरा हैं।। भरी हुई हैं डायरी मेरी, कुछ पन्ना उसका अधूरा हैं, गढ़े हुए हैं अल्फाजों से, पर मेरा जज़्बात अधूरा हैं। कैसे लिख दूं शब्दों में, अपनें जीवन का अर्थ सारा, पढ़ते हैं लोग शब्द यहां, उनका भावना अधूरा हैं।। जिन गुज़रे पलों को मैंने रखा संजोये, उसके हर पल में मेरा अतीत है। मेरी डायरी में अब भी बसती हैं तेरी यादें, अब तो बस यही मेरी प्रीत है।। :- अनिल प्रसाद सिन्हा 👉आइए आज लिखते हैं अपनी लिखी डायरी के कुछ शब्दांश, .... कृपया कोलाब करके Done✔️ कीजिए और अपने दोस्तों को भी कोलाब करने के लिए आमंत्रित कीजिए :-