|| श्री हरि: ||
29 - चतुर चूड़ामणि
कन्हाई परम सुकुमार है, सखाओं में दुर्बल है और भोला है, किन्तु चतुर चूड़ामणि है। इसे इतनी युक्तियाँ आती हैं कि कोई सोच भी नहीं सकता।
कृष्ण को ना करना तो आता ही नहीं। कोई कह ही बैठे कि आकाश का वह तारा मिलेगा? तो भी कृष्ण बड़े मजे से हाँ कर देगा और ब्रह्मा भी नहीं जानते कि अपने छोटे से पटुके के छोर में उलझाकर तारे को खींच लेने की कोई युक्ति यह ब्रजराजकुमार निकाल लेगा अथवा नहीं।
अब आज ही अर्जुन दौड़ा-दौड़ा हाफता घबडाया आया। दूर से ही पुकार की - 'कनूँ! कनूँ! अपना अमित कीचड़ में फंस गया है।'