ऊँच-नीच का भेद न माने, पेड़ देता अपनी छांव सभी को वर्षा होती निष्पक्ष सभी पर यह न जानें कोई भेद भाव ईशवर नें भी नहीं रखा कोई अलगाव सब को एक जीवन दिया सब को एक सा हक दिया फिर हम किस लिये करते हैं भेदभाव? सब एक हैं, सबको एक सा मानें ऊँच नीच का भेद न मानें।