जनक राजा का प्रण भारी, सीता बनेगी उसकी अर्धांगिनी, जो शिव धनुष प्रत्यंचा को चढ़ाये, महाबली महापराक्रमी राजा तो कई राजकुमार मिथिला आये, प्रत्यंचा चढ़ाना तो बहुत दूर शिव धनुष को हिला ना पाये, जनक नरेश अब मन में घबराये कैसी ली प्रतिज्ञा जो कोई पूरी ना हो पाये, क्रोधित हो बोले कई कटु बोल क्या वीर विहीन हो गयी धरा लोक, कोई बचा ना पराक्रमी चहु ओर, क्रोधित हो लक्ष्मण बोले श्री राम के होते कैसे आप धरा को वीर विहीन बोले, नजरे अब सबकी एकटक राम की ओर, राम निहारे सिया तो कभी धनुष की ओर, झुककर किये शिव धनुष को प्रणाम, तृण की भाँति शिव धनुष उठाये, देख सभी चकित नर नारी, जनकजी की उम्मीद जागी, धनुष की प्रत्यंचा चढाने को तैयार, पर पल भर में टूटा शिव धनुष, जिसकी टंकार से हुआ गर्जन, मान गये सब राम का प्रताप, गूँजा सब ओर राम का नाम। ©Priya Gour जय श्री सियाराम 🙏💞 #NojotoRamleela #NojotoRamleela2nd day #siyaram #ramayan #nojotowriters #NojotoWriter