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कब तक अंतर्द्वंध की वेदना झेल पाते कब तक बांध सैल

 कब तक अंतर्द्वंध की वेदना झेल पाते
कब तक बांध सैलाब को रोक पाते
अंततः आंसू रोल पड़े
बंद गुत्थी को खोल पड़े
राज खुला तो जग जाग पड़ा
जख्म कुरेदने ले तलवार खड़ा
आंसू की भाषा किसी को समझ आई न
आंसू कितने ही पत्थर तोड़ पड़े
अंततः साथ छोड़ वो चले🖋️

©shubpreet
  #adventure 
#अंतर्मन