खड़ी मैं चौराहे पर पूर्ण बदन वस्त्रो में, फिर भी तुम्हारी नज़रो ने मुझे निर्वस्त्र कर दिया। क्या इसी को तुम अपनी मर्दांगी कहते हो? बीवी को अपनी अपशब्द बोलते हो। मर्ज़ी हो उसकी या नही, तुम अपनी भूख मिटाते हो। क्या इसी को तुम अपनी मर्दांगी कहते हो? स्त्री के आगे बढ़ने पर, सभ्यता का हवाला देते हो। पर खुद असभ्यता की मूरत हो। क्या इसी को तुम मर्दांगी कहते हो? अपनो के साथ गलत हो तो सहम जाते हो, लेकिन औरो की माँ बहनो को तुम रौंद जाते हो। क्या इसी को तुम मर्दांगी कहते हो? क्या सच मे तुम मर्दांगी इसी को कहते हो? #nojoto #hindi #poetry