बरसों से बह रहा है लहू मेरा घाव है की भरते नहीं हैं, पिछली गली में रेहता है हक़ीम मेरा पर उसपे भी मुझे भरोसा नहीं हैं... मैं तो अनुभवों की किताब सा हूँ सिर्फ इसलिए गुमसुम रहता हूँ, तुम्हारा रवैया बता रहा है की तुम्हारी अकड़ नई नई हैं... -vedant patil #trueved #shayri #dardbhari